मेरे अंतस को छूती
वह धूप जाड़े की
जो सज्जित ड्राईंग रूम के कोने में
ठिठुरते निस्तेज रबड़ प्लांट को
सहला जाती है आहिस्ता
झांक कर झीने झरोंखो से
और
दे जाती है ललक
कुछ और जीने की
तुम्हारी याद ।
वह धूप जाड़े की
जो सज्जित ड्राईंग रूम के कोने में
ठिठुरते निस्तेज रबड़ प्लांट को
सहला जाती है आहिस्ता
झांक कर झीने झरोंखो से
और
दे जाती है ललक
कुछ और जीने की
तुम्हारी याद ।
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