Friday, June 27, 2008

स्व - पथ चुनना है !

जब- जब प्रहार हुए
कठोरतर होता रहा मैं
और मेरे अन्दर का पहाड़
दरकता रहा कहीं
भीत सम प्रतिपल ।

जब -जब फुहार पड़ी नम
संकुचित होता रहा मैं
और मेरे अन्दर का लावा
पिघलता रहा कहीं
मोम सम प्रतिपल ।

प्रहार और फुहार
दोनों लिए नवजीवन अंश
रीते घट भरना है
स्व -पथ चुनना है
टुकड़े-टुकड़े बिखरने का
या जलते -जलते पिघलने का । ।

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