Tuesday, July 1, 2008

जतन करके तो देंखें

अग्निवन के बाद उपवन भी मिलेंगे
हम ज़रा सा पाँव धरने के जतन करके तो देखें ।
आंसुओं की बात क्या है घाव भी हंसनें लगेंगें
हम ज़रा सा मुस्कुराने के जतन करके तो देखें । ।