Saturday, July 5, 2008

दर्द अपार दे दो !

यह नही कहता प्रिये तुम रूप का उपहार दे दो ,
यह नही कहता शुभे निज गंध पर अधिकार दे दो ।
दे सको तो पाँव के छाले व्यथा विस्तार दे दो ,
दे सको निज घाव दे दो और दर्द अपार दे दो । ।