चाहत के लिए
ज़रूरी है
यदि दर्शन
मिलन या छुअन
तो समझ लो साफ़ -साफ़
मैं तुम्हें नही चाहता।
ज़रूरी है
यदि मनन
तपन या समर्पण
तो समझ लो बस इतना
वह है
अगाध असीम
अनन्य तुम्हारे लिए।।
चंद ग़ज़लें -
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चंद ग़ज़लें -
१ बेवज़ह धूप में हम चल पड़े घर से क्यूँकर ,
हर दफा दर को शिकायत रहे सर से क्यूँकर ।
आंसुओं से कोई पत्थर नहीं पिघला करता,
दिल को समझाने में यह...
13 years ago