चंद ग़ज़लें -
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चंद ग़ज़लें -
१ बेवज़ह धूप में हम चल पड़े घर से क्यूँकर ,
हर दफा दर को शिकायत रहे सर से क्यूँकर ।
आंसुओं से कोई पत्थर नहीं पिघला करता,
दिल को समझाने में यह...
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तेरी खूशबू तेरा एहसास लिए आया हूँ ,
मैं तो ऐ दोस्त हवाओं की तरह आया हूँ।।
कुछ भी बोलूं मेरी हर बात में तू ही तू है ,
कुछ भी सोचूं तो खयालात में तू ही त...
जीवन पथ
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मृत्यु कभी नही आती। हम मृत्यु में रह रहे होते हैं , मृत्यु में ही चल रहे
होतें हैं ।जब हम गंतव्य पर पहुँच जायेंगे अशेष हो जायेंगे , अनित्य हो
जायेंगे । जन्...
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