Tuesday, January 4, 2011

चंद अशयार-

चंद अशयार-
1. वो महल रेत का जो टूट कर गिरा है अभी
वो नन्हे हाथों की पहली हसीन कोशिश थी ।
वो चांदनी सी जो बिखरी थी स्याह रातों में
वो माहताब  नहीं जुगनुओं की कोशिश थी।
2. जो मोतीयों के हर्फ़ खो गए थे ख़त में कहीं
मैं जागे ख्वाबों में उन सबसे मिल के आया हूँ।
जो करवटों से कही सिलवटों ने रातों को
मैं दिल के पन्नों पर अश्कों से लिख के लाया हूँ।

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